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दरोगा व सिपाही सहित चार को गिरफ्तार करने के कोर्ट ने दिये आदेश


Noida:

ग्रेटर नोएडा : बिसरख कोतवाली क्षेत्र के हैबतपुर गोलचक्कर के समीप बीते 16 नवंबर 2017 को हुए तिहरे हत्याकांड में शामिल यूपी पुलिस के दारोगा अमित यादव व सिपाही रविद्र यादव और उनके रिश्तेदार अमन यादव, प्रवीण यादव के खिलाफ गौतमबुद्ध नगर जिला न्यायालय ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। आरोप है कि तिहरे हत्याकांड की जानकारी दोनों पुलिसकर्मियों को थी और उन्होंने आरोपितों की मदद की थी। तिहरे हत्याकांड का मुख्य आरोपित अरुण यादव दारोगा अमित यादव का सगा भाई है। घटना के बाद दारोगा ने ही अरुण को फरारी के दौरान अलग-अलग ठिकाने उपलब्ध कराए थे। दोनों पुलिसकर्मियों के गैर जमानती वारंट जारी कर न्यायालय ने कहा है कि यदि 16 मई तक दोनों कोर्ट में पेश नहीं होते है तो उनके घरों की कुर्की की तैयारी की जाएगी।

उल्लेखनीय है कि नोएडा के बहलोलपुर गांव के रहने वाले भाजपा नेता शिव कुमार यादव, चालक बली नाथ व निजी सुरक्षाकर्मी रईसपाल की बीते 16 नवंबर 2017 की दोपहर हैबतपुर गांव के समीप गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मोटरसाइकिल व स्कूटी सवार बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिग करते हुए भाजपा नेता की कार का आठ सौ मीटर तक पीछा किया था। घटना के दौरान कुल 40 राउंड फायरिग बदमाशों ने की थी। प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को बताया था कि एक शूटर ने दोनों हाथों में पिस्टल लेकर गोलियां बरसाईं थीं। घटना के बाद दिसंबर में पुलिस व एसटीएफ ने मामले का पर्दाफाश किया था।

इनकी हुई थी गिरफ्तारी

तिहरे हत्याकांड में शामिल तीन आरोपित मुख्य साजिशकर्ता अरूण यादव निवासी बहलोलपुर गांव नोएडा, मुखबिरी करने वाले धर्मदत्त उर्फ सोनू निवासी बुलंदशहर व शूटर नरेश तेवतिया निवासी जारचा गौतमबुद्ध नगर को सबसे पहले गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद कुख्यात सुंदर भाटी के भाई सहदेव व भतीजे अनिल को शामली में गिरफ्तार किया गया था। कुछ दिन बाद 50 हजार के इनामी और घटना में शामिल शूटर अमर सिंह को गाजियाबाद पुलिस ने धर दबोचा था।

गोंडा व जेपी नगर (अमरोहा) में है तैनाती

दारोगा अमित यादव वर्तमान में गोंडा में तैनात है और सिपाही रविद्र यादव जेपी नगर (अमरोहा) में तैनात है। दोनों आपस में चाचा-भतीजे भी है।

कई बार बदली जांच

तिहरे हत्याकांड की जांच पहले बिसरख थाने से हुई। उसके बाद बादलपुर कोतवाली स्थानांतरित की गई। मामले की गंभीरता को देखते हुए मुख्यमंत्री के आदेश पर जांच मेरठ जोन के आइजी के निर्देशन पर गाजियाबाद पुलिस को सौंपी गई। गाजियाबाद में तीन इंस्पेक्टरों की एसआइटी गठित कर जांच की गई तब कई और तथ्य सामने आए और दारोगा व सिपाही को आरोपित बनाया गया।